केरल राज्य की राजधानी तिरूनवंतपुरम की एक लड़की ने ऐसा कार्य किया है जिस को सुन और देख के यह लगता है की यदि मनुष्य कुछ भी पाने की सोच ले तो उस को वो मिल जाता है जिस की उस को तलाश रहती है। तिरूनवंतपुरम के एक कस्बे की प्रुथू ने यह कर के दिखा दिया। प्रुथू बचपन से चल फिर नहीं सकती लकिन उस के हौसले को देख के आप भी हैरान रह जाओगे।
प्रुथू बचपन से चल नहीं सकती, स्कूल में हर वक्त दूसरे बच्चों से अलग होने का अहसास हुआ लेकिन उस ने कभी हार नहीं मानी नहीं हिम्मत हारी और उस ने सीए का एग्जाम पास करके यह साबित कर दिया मनुष्य कुछ भी पाने की सोच ले तो उस को वो मिल जाता है जिस की उस को तलाश रहती है।
प्रुथू के माता-पिता ने श्री चित्र तिरुनाल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड टेक्नोलॉजी के डॉक्टर को दिखाया तो पता चला की प्रुथू की हडि्डयां टूटी हुई है इसलिए वह कभी चल नहीं पाएगी। वाह के डॉक्टर ने बताया की उसे एक दुर्लभ बीमारी बताई जिसका नाम स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी टाइप 2 था। और साथ यह भी कहा कि ये बीमारी उम्र बढ़ने के साथ और बढ़ेगी। उस समय प्रुथू के माता-पिता के दुख का ठिकाना नहीं रहा। लेकिन जब यही बेटी बड़ी होने लगी तो उन्होंने हर हाल में अपनी बेटी को हिम्मत बंधाई और उसे अपने कॅरिअर को ऊंचाई पर ले जाने का सपना भी दिखाया। आज अपने हौसले के बल पर दिव्यांग होने के बावजूद प्रुथू चार्टर्ड अकाउंटेंट बनीं।
प्रुथू बिना किसी भी सहारे के चल भी नहीं सकती। ऐसे में उसे माता-पिता का सपोर्ट मिला और छ: साल की उम्र में प्रुथू का एडमिनशन एक प्रायवेट स्कूल में हुआ। स्कूल में जाने के बाद उसे अहसास हुआ की वो अन्य बच्चों से हटकर एक स्पेशल चाइल्ड है। उस की माँ हमेशा उस के साथ रहती और उसे भी उसे अन्य बच्चों की तरह आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित भी करतीं। प्रुथू ने अपनी योग्यता को स्कूल में साबित कर दिखाया।
प्रुथू ने बोर्ड के एग्जाम में निमोनिया होने के बाद भी 88% प्राप्त किये उस के बाद बी कॉम में 90 % मार्क्स हासिल किये। उसी टाइम किसी ने उसे सीए करने की सलाह दी और उसने अलपुज्जा के सीए इंस्टीट्यूट में एडमिशन लिया। याँह भी उस के सामने बहुत बड़ी परेशानी आ गयी क्युकी याँह क्लास सेकंड फ्लोर पर लगती थी वाह तक जाना उसके लिए मुश्किल था।
तब उसने पलारीवत्तम लॉजिक इंस्टीट्यूट जॉइन किया और याँह ग्राउंड फ्लोर पर क्लास अटैंड करने लगी। प्रुथू के ये सारे प्रयास उस वक्त सफल रहे जब सीए का रिजल्ट आया और वह पास हो गई। मुश्किल हालातों के बाद भी प्रुथू ने अपनी मेहनत और लगन के बल पर सीए बनने का सपना पूरा किया और वह आत्मनिर्भर बनी।