नेशनल कैंसर अवेयरनेस डे

नेशनल कैंसर अवेयरनेस डे

भारत में होने वाली मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण कैंसर ही है, यह आकड़ा 20 वर्ष पहले सातवे स्थान पर था। हमारे भारत में 80% मामलों में मरीज को आखिरी स्टेज का कैंसर होने पर ही पता चलता है।

कैंसर
कैंसर

कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसका नाम सुनते ही लोगो के मन ही मन में खौफ पैदा हो जाता है। यह वो ही बीमारी है जिस कारण महान और बड़ी बड़ी हस्तिया हमारे बिच से चले गए जिस में मनोहर पर्रिकर, ऋषि कपूर, इरफान खान, विनोद खन्ना और न जाने ऐसी लाखों हस्तियों को हमसे छीन लिया। हमारे देश में कैंसर का दर्द सहते होये हर मिनट एक न एक शख्स की सांसें थम जाती हैं। मगर एक बात याद रखना सिक्के के हमेशा दो पहलू होते है लेकिन यह सिक्के का पहला पहलू है दरसल , यह बीमारी उतनी भी बेकाबू नहीं है जितनी लगती नहीं है।

अमेरिका के नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉरमेशन (NCBI) और PUSHPANJALII NGO के अनुसार केवल 5-10% कैंसर के मामले जेनेटिक होते हैं।
फिलहाल ऐसे मामलों को काबू करना बहुत मुश्किल है। मगर, 90-95% कैंसर के मामले आप के आसपास के वातावरण, खान-पान और रहन-सहन के तौर-तरीकों के चलते होते हैं। यानी हम हमारा लाइफस्टाइल को सही कर ले तो हम कैंसर से बच सकते है , यह कैंसर से बचने का जबरदस्त मौका देता है। अगर कैंसर हो भी जाए तो सही समय पर पता चलने पर ज्यादातर मामलों में इसका इलाज मुमकिन है। बस जरूरत जागरूक होने की है। युवराज सिंह, मनीषा कोइराला, सोनाली बेंद्रे, ताहिरा कश्यप, अनुराग बासु और राकेश रोशन इसके जाने-पहचाने उदाहरण हैं।
हमारे देश में 80% लोगों को कैंसर का पता तब चलता है जब उसका इलाज तकरीबन नामुमकिन हो जाता है यानी आखिरी स्टेज पर पता चलता है। ऐसे हालात में 70% लोगों की मौत कैंसर का पता चलने के एक साल के भीतर हो जाती है। भारत में दिल की बीमारियों के बाद कैंसर लोगों की मौत का दूसरा बड़ा कारण है। जबकि सिर्फ दो दशक पहले यह सातवें स्थान पर था।

मैडम क्यूरी का जन्मदिन भी आज

भारत में नेशनल कैंसर अवेयरनेस डे मशहूर फ्रेंच-पोलिश वैज्ञानिक मैडम क्यूरी के जन्मदिन पर ही मनाया जाता है। केंद्र सरकार ने 2014 में नेशनल कैंसर अवेयरनेस डे की शरुआत की थी। मैडम क्यूरी ने रेडियम और पोलोनियम की खोज की थी। यह दोनों रेडियोएक्टिव तत्त्व कैंसर के इलाज के लिए रेडियो-थैरेपी में इस्तेमाल होती है।

हर साल 11 लाख नए मामले आते है भारत में

हमारे देश में हर साल करीब 11 लाख कैंसर के नए मामले सामने आते हैं। इन सब में हर तीन में दो केस कैंसर के एडवांस और आखिरी स्टेज में पता चला पाते है। इससे मरीजों की जान बचने की उम्मीद बेहद कम बचती है।
हर आठवें मिनट में सर्वाइकल कैंसर से एक महिला की जान चली जाती है।
भारत में 25% कैंसर पीड़ित पुरुषों की मौत तंबाकू के चलते मुंह और फेफड़ों के कैंसर से होती है वहीं 25% कैंसर पीड़ित महिलाओं की मौत मुंह और ब्रेस्ट कैंसर से होती है।

इस कैंसर एनवायरनमेंट से बचें

  • तम्बाकू
  • वजन बढाना वाला आहार, शारीरिक निष्क्रियता
  • शराब
  • अल्ट्रावायलेट रेडिएशन
  • वायरस और बैक्टीरिया
  • आयनाजेशन रेडिएशन (जैसे एक्सरे)
  • कीटनाशक
  • सॉल्वैंट्स
  • महीन कण और धूल
  • डाइऑक्सिन (बेहद टॉक्सिक कैमिकल, यह कागज की ब्लीचिंग, कीटनाशक बनाने जैसी औद्योगिक प्रक्रियाओं के दौरान निकलते हैं)
  • कोयला, डीजल-पेट्रोल, लकड़ी आदि को जलाने से निकलने वाले पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (PAHs)
  • फफूंद वाले टॉक्सिन
  • विनाइल क्लोराइड (पीवीसी बनाने में निकलने वाली गैस)

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