विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनिया में हर साल करीब 8 लाख लोग सुसाइड करते हैं यानी हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति खुदकुशी कर रहा है आज के समय में। जब से लॉकडाउन हुआ है उस के बाद से ही देश और दुनिया में डिप्रेशन को लेकर चर्चा बढ़ गई है। सुशांत सिंह राजपूत और दूसरे कई सेलेब्स के बाद अब खुदकुशी करने वालों की फेहरिस्त में सीबीआई के पूर्व निदेशक अश्विनी कुमार का नाम भी जुड़ गया है। मीडिया और अन्य रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनकी मौत की वजह भी डिप्रेशन ही रही है।
हालांकि, इन सभी की उम्र ज्यादा थी, लेकिन किशोरों को लेकर भी विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। संस्था के अनुसार, 15 से लेकर 19 साल के बच्चों की मौत की तीसरी सबसे बड़ी वजह सुसाइड है और डिप्रेशन किशोरों के बीच बीमारी की सबसे बड़ी वजहों में से एक है। और साथ ही नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के सन 2019 का डेटा यह बताता है की कुल 1 लाख 39 हजार 123 लोगों ने सुसाइड की थी, इसमें छात्रों की संख्या 10 हजार 335 थी यानी कुल मामलों का 7.40%। सबसे ज्यादा सुसाइड 18 से 30 साल की उम्र के
48 हजार 774 लोगों ने सुसाइड की थी और 8 साल से कम उम्र के 9 हजार 613 लोगों ने खुदकुशी की थी।
ऐसे पाएं डिप्रेशन से निजात
राजस्थान के जयपुर में स्थित पुष्पांजली एनजीओ के अनुसार हमारे समाज में किसी व्यक्ति की इतनी खूबियां गिना दी जाती हैं कि अगर कोई दुख है तो बता भी नहीं पाता है। पुष्पांजली एनजीओ ने बताया की अगर बच्चों के लिहाज से देखा जाए तो बचपन से ही बच्चे को पैंपर कर बताया जाता है कि तुम ये कर सकते हो और वो कर सकते हो। ऐसे में बच्चा पैरेंट्स के प्रेशर के कारण भी खुद को व्यक्त नहीं कर पाता है।क्यों की कि डिप्रेशन का गंभीर स्तर सुसाइड में आता है।
कुछ ऐसे संकेत हैं, जो सुसाइड के बारे में सोच रहे व्यक्ति में नजर आ सकते हैं
अकेले रहना: अगर कोई व्यक्ति या बच्चा किसी कारण आत्महत्या के बारे में सोच रहा है तो वो खुद को अलग रखने लगेगा। सुसाइडल थॉट्स के मामले में यह सबसे बड़े संकेतों में से एक है। पहले लोगों से हमेशा खुश होकर मिलने वाला अगर अचानक खुद को अकेला रखने लगे, तो यह चिंता वाली बात है।
बातों में संकेत: जो व्यक्ति सुसाइड के बारे में सोच रहा है उस से आप को बात करने पर आप महसूस करेंगे कि वह लगातार दुखभरी बातें कर रहा है। उसकी बातों में आपको निराशा नजर आएगी। अगर आप अपने करीबी की व्यवहार या बात करने के तरीकों में कुछ बदलाव देख रहे हैं तो सतर्क हो जाएं।
सुसाइड से संबंधित चीजें देखना या सर्च करना: यह भी एक एक बड़ा संकेत हो सकता है। अगर आप सुसाइडल थॉट से गुजर रहे व्यक्ति के मोबाइल की इंटरनेट हिस्ट्री देखेंते, तो हो सकता है आपको सुसाइड से जुड़ी इंटरनेट सर्च नजर आएं।
मायूसी: यदि खुश खुश रहने वाला व्यक्ति ज्यादातर वक्त अगर मायूस रहने लगे तो बात चिंता की हो सकती है। हो सकता है कि आत्महत्या के बारे में सोच रहे व्यक्ति को किसी भी चीज में मजा न आए। फिर भले ही वह चीज उसकी पसंदीदा हो। ऐसे लोग हर वक्त मायूस रह सकते हैं और खुशी के मौके पर भी दुखी नजर आ सकते हैं।
5 तरीके सुसाइडल थॉट्स से जूझ रहे व्यक्ति को सामान्य बनाने में मदद कर सकते हैं.
1.अकेला न छोड़ें: अगर आपको लगता है कि आपका साथी किसी तरह की परेशानी से जूझ रहा है, तो उन्हें कभी भी ज्यादा समय के लिए अकेला न छोड़ें। ऐसे लोग अकेले रहना का मौका तलाशते हैं, ताकि खुद को नुकसान पहुंचा सकें।
2.बातचीत करें: बातचीत करना बहुत जरूरी होता है। पुष्पांजली एनजीओ के मुताबिक, किसी करीबी से बातचीत करने के कारण हम मन की बातों को बाहर निकाल देते हैं और हल्का महसूस करते हैं। बातचीत करने से हमारे अंदर पॉजिटिविटी भी बढ़ती है।
3.अपनापन जताएं: कई बार हम किसी दोस्त या करीबी से बातचीत के दौरान महसूस करते हैं कि वे केवल औपचारिकता निभा रहे है। ऐसा करना से सुसाइडल थॉट्स से जूझ रहे व्यक्ति के साथ हर वक्त अच्छा व्यवहार करें और उन्हें यह एहसास दिलाते रहें कि आप उनके साथ हैं।
4.पॉजिटिविटी लाएं: जितना हो सके हमेशा बुरी खबरों या बुरी चीजों के बीच रहना बंद कर दें। कोशिश करें कि आप अच्छी किताबें पढ़ें या फिल्में देखें। हमेशा चीजों को लेकर सकारात्मक रहें और बुरी चीजों से दूरी बना लें।
5.परिवार का सपोर्ट: यदि आप से हो सके तो मानसिक तौर पर परेशान व्यक्ति के लिए परिवार का सपोर्ट बहुत जरूरी होता है। अगर आपके परिवार का सदस्य किसी तरह से परेशान है, तो नाराज होने के बजाए उनकी बात सुनें। यदि आप उनकी बातों को सुनने के बजाए खराब तरह से जवाब देंगे, तो यह उन्हें अंदर से और कमजोर बना देगी।